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बाबुल की चिड़िया

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अब बाबुल की चिड़िया  बड़ी हो गई है , अकेले सफर पर  निकल पड़ी है , आज निकली हैं, अपने घोंसले से अकेली  अनजाने लोगों के बीच  नए सफर की शुरुआत हैं, थोड़ा डर है  थोड़ी झिझक है  लेकिन एक नया  आत्मविश्वास है  आप पीछे मुड़ने का  कोई सवाल नहीं  अब आगे कदम बढ़ाते जाना हैं , खुद को आने वाली कठिनाइयों से बचाना है सम्हल सम्हल कर कदम बढ़ाना हैं  सपनों को पूरा  करते जाना हैं  ना झिझकना हैं  ना डरना‌ हैं  बस विश्वास से आगे बढ़ना हैं। हौसला बुलंद रखना है 

वो माँ-बाप ही होते है जो ज़िंदगीभर अपना फ़र्ज निभाते हैं

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वो माँ-बाप ही होते है जो ज़िंदगीभर अपना फ़र्ज निभाते हैं । नन्ही उंगलियों को थामकर चलना सिखाते है , तुम्हारी हर गलती पर डांट लगाते है , तुम्हारी देखभाल में खुद खाना भूल जाते है , तुम्हारे उज्जवल भविष्य के लिए पाई पाई बचाते है , वो माँ-बाप ही होते है जो ज़िंदगीभर अपना फ़र्ज निभाते हैं । तुम्हारे हर सपने की ख़ातिर अपनी ख़्वाहिशें भुलाते है , तुम्हारी एक मुस्कान के लिए न जाने कितने कष्ट उठाते है , तुम्हारी हर छोटी से छोटी जीत का जश्न मनाते है , तुम्हे अच्छे-बुरे की पहचान करना सिखाते है , वो माँ-बाप ही होते है जो ज़िंदगीभर अपना फ़र्ज निभाते हैं । तुम्हे जीवनपथ पर संघर्ष करना सिखाते है , जीवन के हर मोड़ पर राह दिखाते है , निराशा के पलों में वो ही तुम्हे संबल बंधाते है , जब रिश्ते-नाते,दोस्त सब साथ छोड़ जाते है , वो माँ-बाप ही होते है जो ज़िंदगीभर अपना फ़र्ज निभाते हैं । वो बदले में तुमसे जमीन जायदाद नहीं मांगते, धन दौलत मकान नहीं मांगते । बस चाहते है तुम्हारा थोड़ा सा प्यार,स्नेह और सम्मान !!!!

एक खत पिता के नाम

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प्यारे पापा !!  लोग कहते हैं मां से बड़ा सहनशील, धीरज धारण करने वाला कोई और नहीं होता क्यूंकि वो 9 महीने बच्चे को गर्भ में पालती है उसका भार उठाती हैं  | पर आज मैं कहती हूं पापा भी बड़े सहनशील होते हैं । पापा बहुत सहनशील और हिम्मत वाले होते हैं पापा कभी ज्यादा प्यार नहीं जताते पर वो सबकुछ सह जाते है |   तुम किस मिट्टी के बने हो पापा !!   तुम्हारी अपनी बच्चे जब तुम्हें बुरा भला कहते है तो तुम चुपचाप सुन लेते हो , सब कुछ सह जाते हो , क्यों ?  क्यूंकि तुम्हें पता है आज तुम्हारे बच्चों को यह नहीं भान  नहीं  कि वह जो कह रहे है अपने होशो आवाज़ में नहीं | तुम समझते हो , तुम सहते हो , उनकी हर हरकत को तुम झेलते हो क्योंकि तुम नहीं भूले  कि वह तुम्हारा अंश  है|   बचपन में वो तुम्हारी ऊँगली पकड़कर ही तो चलना सीखे थे ,बचपन में तुम्हारे कंधो से ही तो  दुनिया देखी थी | कितने नाजो से पाला था तुमने |  पर आज जब वही बच्चे तुम्हारे हर किये को भूल बैठे है |फिर भी तुम चुप हो ? कहां से लाते हो इतनी हिम...

मानसिक सेहत भी जरुरी है

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दोस्तों एक फ़िल्मी सितारा आसमान में ओझल हो गया |  आखिर क्या वज़ह  रही होगी की उसने सुसाइड की ? ये सोच कर ही दिमाग हिल जाता है की जिस फ़िल्मी सितारों की फिल्मे देखकर हम ज़िन्दगी की परेशानियों से निज़ात पाते है वही अपनी ज़िन्दगी की कीमत नहीं समझे !! ये तो सिर्फ एक मामला है जो रौशनी में आया है | ऐसे ना जाने कितने लोग रोज सुसाइड कर रहे है , ज़िन्दगी से निराश हो रहे है | आज हम लोग  शारीरिक सेहत के लिए जिम जाते है पर मानसिक सेहत का क्या ? उसके बारे में तो हमने जैसे सोचना ही छोड़ दिया है | आज हम केवल बाहरी दिखावे के लिए जी रहे है | हम रोज पॉजिटिव स्टेटस तो डालते है पर अंदर  ही अंदर हम नकारात्मक विचारो से भरे है | आज हम छोटी छोटी बातो पर गुस्सा हो जाते है, नाराज हो जाते है और ये सोचते ही नहीं की हम ऐसा क्यों कर रहे है |  कारण हमारी मानसिक सेहत का ख़राब होना ।  इसके कई कारण हैं - * जरूरत से ज्यादा ‌सोशल मीडिया का इस्तेमाल * परिवार ‌जनो से दूरी * निराशावादी रवैया दोस्तों ! आज का समय‌ प्रतिस्पर्धा का हैं । हम हर रोज तनाव झेलना रहे हैं , इस प्रतिस्पर्धा से जूझ रहे हैं। और ...

अब बस ! बहुत हुआ !!

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अब बहुत हुआ सहना,  अब बहुत हुआ रोना,  अब बहुत हुआ डरना,  अब बहुत हुआ चुप्पी साधना,  अब बहुत हुआ नजरें चुराना, अब वक्त है हिम्मत दिखाने का। अब वक्त है स्वाभिमान जगाने का। अब वक्त है नजरें मिलाने का।  अब वक्त है खुद के लिए जीने का। अब वक्त है हर बंदिश को तोड़ने का।  अब वक्त है अपने जज्बातों को बोलने का । अब वक्त है आसमान को छूने का। अब वक्त है  हौसलों   की उड़ान भरने  का ।

हर व्यक्ति के जीवन का संघर्ष अलग होता है

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दोस्तों संघर्ष का दूसरा नाम ही जिंदगी है या यूं कहे कि जिंदगी का दूसरा नाम ही तो संघर्ष है।  ऐसा कौन सा व्यक्ति है , जिसने अपनी जिंदगी में कभी संघर्ष ना किया हो !! जिंदगी बनी ही है संघर्ष के लिए।  जिसने इस संघर्ष को पार कर लिया वह जिंदगी में सफलता को पा गया और जो इस संघर्ष से हताश हो गया, निराश हो गया , वह दुनिया से यूं ही चला गया।  दोस्तों !! हर इंसान की जिंदगी एक फिल्म की तरह होती है । हम फिल्में देखते हैं - कैसे हीरो अपने सामने आने वाली हर कठिनाई को पार कर अंत में विजय को पाता है।  वह हर परिस्थिति में डटा रहता है ,जुटा रहता है, अड़ा रहता है ।  वह हार नहीं मानता , क्योंकि फिल्म निर्देशक के अनुसार अंत में विजय उसी की सुनिश्चित है , चाहे उसका दुश्मन कितना ही शक्तिशाली हो।   अंत में हमेशा अभिनेता, नायक ही जीता है। यह तो रही फिल्मों की बात ।  लेकिन असल जिंदगी में कई बार खलनायक(विषय परिस्थिति) ,  नायक पर भारी पड़ जाता है ।  नायक अपनेआप पर विश्वास खो बैठता है।  ऐसा क्यों होता है?  यह सब निर्भर करता है ,हमारी सोच पर ,हमारे निर्णय पर...

आजादी क्या है

दोस्तों 15 अगस्त आने को है माहौल पहले से ही बहुत खुशनुमा हो चुका है बारिश हो रही है मिट्टी की भीनी भीनी खुशबू और हवा में बहती आजादी की महक। दोस्तों आजादी के 73 साल हो चुके, हर साल हम आजादी का जश्न बड़े धूमधाम से मनाते हैं । दोस्तों आखिरी आजादी है क्या आखिर एक युवा के लिए आजादी के असल मायने क्या है ? हमारे देश के वीर जवानों ने जो बलिदान दिए जो त्याग किए हमने तो वो सब नहीं किया, फिर हम कैसे समझे उस आजादी के मायने को । दोस्तों एक लाइन तो आपने हर जगह सुनी होगी कि " यह आजादी कोई हमें चांदी की थाली में परसी हुई नहीं मिली " इसके लिए हजारों देशभक्तों ने ,वीर जवानों ने अपनी जान को न्योछावर किया था फिर हम कैसे महसूस करें उस आजादी को। हम तो बस हर साल 26 जनवरी और 15 अगस्त जैसे राष्ट्रीय त्योहारों पर झंडा फहरा कर राष्ट्रगीत ,राष्ट्रगान गाकर , सांस्कृतिक कार्यक्रम करके घर लौट आते हैं। तो आजादी का मतलब हम उन लोगों से पूछे जो जेल में बंद है, या एक पिंजरे में कैद पंछी से जाने किस तरह उड़ने के लिए फड़फड़ाता है,आ जाओ उसे मौका मिलता है पिंजरे से बाहर निकलने का वह कितना उल्लास रोमांचित हो कर...

अब वक्त मिला है

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देश के नाम अब वक्त मिला है देशभक्ति निभाने का अब वक्त मिला है  दूसरों का दर्द बांटने का अब वक्त मिला है अपना फर्ज़ निभाने का अब वक्त मिला है कुछ कर दिखाने का ..... प्रकृति के नाम अब वक्त मिला है तारों भरे आसमां को निहारने का अब वक्त मिला है बादलों में छिपते चांद से बतियाने का अब वक्त मिला है फूल-भवरो को निहारने का अब वक्त मिला है पक्षियों का कलरव सुनने का अब वक्त मिला है कोयल संग गुनगुनाने का अब वक्त मिला है प्रकृति को महसूस करने का .......... अब वक्त मिला है पुरानी यादें जगाने का अब वक्त मिला है गिले शिकवे मिटाने का ..........   खुद के नाम  अब वक्त मिला है फिर से कलम उठाने का अब वक्त मिला है खुद को समझने और समझाने का अब वक्त मिला है अपने गुणों को निखारने का अब वक्त मिला है अपनी काबिलियत पहचानने का अब वक्त मिला है आने वाले कल की तैयारी का ......... #घर पर रहें , सुरक्षित रहें।। #stayhome_Staysafe #Gocorona

बेटियां

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      अब बस बेटी,  बहुत हुआ !!! अब बस बहुत हुआ सहना अब बस बहुत हुआ रोना अब बस बहुत हुआ डरना अब बस बहुत हुआ  चुप्पी साधना अब बस बहुत हुआ नजरे चुराना अब  वक़्त है  हिम्मत दिखने का अब  वक़्त है  स्वाभिमान जगाने का अब  वक़्त है  नजरे उठाने का अब  वक़्त है खुद के लिए जीने का अब  वक़्त है  हर बंदिश को तोड़ने का अब  वक़्त है  अपने जज्बात बताने का अब  वक़्त है हौसलो की उड़ान भरने का अब  वक़्त है  आसमान को छूने का   अब न डरना है रोना न हिचकी याद रख तू बेटी है किसकी !!   दुनिया की हर उस बेटी को समर्पित ये छोटी से कविता जो अपने सपनो की ऊंची उड़ान भरना चाहती है और ज़िन्दगी की ज़िंदादिली से जीने की ख्वाहिश रखती है || 

मैं तेरी दोस्ती के काबिल नहीं

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कभी-कभी सोचती हूं कि मैं तेरी दोस्ती के काबिल नहीं थी एक सच्चा दोस्त कौन होता है ?  जो आपकी खुशी में खुश हो आपके दुख में साथ दें । मैं तो यह दोनों काम नहीं कर पाई , यार  ! मैं शायद मतलबी किस्म की थी या हूं।   हां ! यह सच है , जब-जब तुझे जिंदगी में तरक्की मिली मुझे बुरा लगा । पता नहीं पर क्यों , पर एक जलन हुईं कि ये खुशी आखिर मुझे क्यों नहीं मिली । हां आज मैं कुबूल करती हूं कि जब-जब तेरी तारीफ हुई मैं मन ही मन कुड़कुड़ायी हूं । आज मैं अपने मन में भरा सारा रोष उतार रही हूं , इस कागज के पन्ने पर। आज मैं मान रही हूं कि  मैं तेरी दोस्ती के लायक नहीं थी  तू कितनी अच्छी दोस्त थी ना  !  मेरी हर खुशी में खुश हो जाया करती थी !   मेरी हर जीत का जश्न मनाया करती थी !  तू मेरे हर गम में आंसू बहाया करती थी !   मेरी हर गलती पर डांट लगाया करती थी !   मुझसे झगड़ थी और नाराजगी जताया करती थी !  कभी मां, कभी बहन की तरह हक जताया करती थी !   यार !!  पर मेरा,  तेरे अलावा कोई और ह...

देश का दर्द

मेरे स्वदेश भारत को समर्पित स्वरचित कविता  इस देश में हजारों वर्षो की गुलामी देखी है  इस देश में भूख से बिलखते बच्चों की लाचारी देखी है इस देश ने जवानों को रणभूमि में शहीद होते देखा है किस देश ने बूढ़े बाप के कंधे पर जवान बेटे का जनाजा उठते देखा है इस देश ने अपनी आन की रक्षा हेतु वीरांगनाओं को जोहर करते देखा है इस देश ने एक मां एक बहन बेटी के साथ अत्याचार होते देखा है इस देश ने चंद पैसों के लालच में मानव को दानव बनते देखा है इस देश ने एक सुहागन का सुहाग उजड़ते देखा है इस देश ने बहुत कुछ देखा है पर अब यह देश बहुत कुछ कहना चाहता है " यह देश कुर्बानी नहीं मांगता यह देश वीरानी नहीं मांगता सवा करोड़ की जनसंख्या वाला यह देश शहद भाईचारे और प्रेम का वरदान मांगता है। यह देश वीरों का बलिदान नहीं चाहता यह देश दुश्मनों का रक्त बात नहीं चाहता यह तो अपने बेटे बेटियों को  विश्व में सफलता का परचम लहराते देखना चाहता है। यह देश है जात पात के नाम पर जंग नहीं चाहता यह देश धर्म के नाम पर लूटपाट नहीं चाहता विभिन्न संस्कृतियों ,सभ्यताओ वाला यह देश सर्वधर्म समभाव, अमर, चैन व शांति चाहता है।। "