बाबुल की चिड़िया

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अब बाबुल की चिड़िया  बड़ी हो गई है , अकेले सफर पर  निकल पड़ी है , आज निकली हैं, अपने घोंसले से अकेली  अनजाने लोगों के बीच  नए सफर की शुरुआत हैं, थोड़ा डर है  थोड़ी झिझक है  लेकिन एक नया  आत्मविश्वास है  आप पीछे मुड़ने का  कोई सवाल नहीं  अब आगे कदम बढ़ाते जाना हैं , खुद को आने वाली कठिनाइयों से बचाना है सम्हल सम्हल कर कदम बढ़ाना हैं  सपनों को पूरा  करते जाना हैं  ना झिझकना हैं  ना डरना‌ हैं  बस विश्वास से आगे बढ़ना हैं। हौसला बुलंद रखना है 

बेटियां

     
अब बस बेटी,  बहुत हुआ !!!


अब बस बहुत हुआ सहना
अब बस बहुत हुआ रोना
अब बस बहुत हुआ डरना
अब बस बहुत हुआ  चुप्पी साधना
अब बस बहुत हुआ नजरे चुराना



अब  वक़्त है  हिम्मत दिखने का
अब  वक़्त है  स्वाभिमान जगाने का
अब  वक़्त है  नजरे उठाने का
अब  वक़्त है खुद के लिए जीने का
अब  वक़्त है  हर बंदिश को तोड़ने का
अब  वक़्त है  अपने जज्बात बताने का
अब  वक़्त है हौसलो की उड़ान भरने का
अब  वक़्त है  आसमान को छूने का  


अब न डरना है रोना न हिचकी याद रख तू बेटी है किसकी !!


 





दुनिया की हर उस बेटी को समर्पित ये छोटी से कविता जो अपने सपनो की ऊंची उड़ान भरना चाहती है और ज़िन्दगी की ज़िंदादिली से जीने की ख्वाहिश रखती है || 




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