Posts

Showing posts with the label #happywomenday #talktowomen #womenempowerment #savegirl #save child

बाबुल की चिड़िया

Image
अब बाबुल की चिड़िया  बड़ी हो गई है , अकेले सफर पर  निकल पड़ी है , आज निकली हैं, अपने घोंसले से अकेली  अनजाने लोगों के बीच  नए सफर की शुरुआत हैं, थोड़ा डर है  थोड़ी झिझक है  लेकिन एक नया  आत्मविश्वास है  आप पीछे मुड़ने का  कोई सवाल नहीं  अब आगे कदम बढ़ाते जाना हैं , खुद को आने वाली कठिनाइयों से बचाना है सम्हल सम्हल कर कदम बढ़ाना हैं  सपनों को पूरा  करते जाना हैं  ना झिझकना हैं  ना डरना‌ हैं  बस विश्वास से आगे बढ़ना हैं। हौसला बुलंद रखना है 

मेघा मतलब बादल

Image
 काश ! मैं बादल होती। फिर कही भी कभी भी पहुंच जाती। फिर जब मन करता लंबी सैर पर निकल जाती । कभी खुशी से बरसती , कभी प्रकृति को निहारती , कभी ऊंची उड़ान भरती। बादलों की तरह आसमान में⛅ उड़ना चाहती हूं  बादलों की तरह ऊंचे शिखरों 🏔️को छूना चाहती हूं बादलों की तरह लंबी उड़ान 💫भरना  चाहती हूं बादलों की तरह झूम कर बरसना🌧️  चाहती हूं बादलों की तरह कभी कभी 🌩️गर्जना चाहती हूं बादलों की तरह खुशी में 🌠झूमना चाहती हूं बादलों की तरह दुनिया🌍 की सैर करना चाहती हूं मैं  ☁️मेघा  बादलों  की  तरह बनना  चाहती हूं

काश! मैं लड़का होती

Image
 बेफिक्री से जी पाती  बिना किसी परवाह के  अपने लिए जी पाती  बेखौफ बिंदास सड़कों पर घूम पाती  काश मैं लड़की नहीं लड़का होती फिर अंधेरे का कोई डर नहीं होता फिर पिता के नियमों का कोई बंधन नहीं होता पहनावे का कोई उसूल नहीं होता फिर मेरे पास भी ताकत होती, शक्ति होती और सामर्थ होता और फिर  मेरे पैरो में कोई बेड़ियां नहीं डाल पाता

अब बस....

Image
  आप बस ..... जिंदगी की तकलीफों से निजात पाना चाहती हूं  बहुत हो गई भागा दौड़ी अब मैं आराम चाहती हूं  कब तक यूं ही भागती रहूंगी  जिंदगी में ठहराव चाहती हूं । बहुत हो गया आप पश्चाताप  गलतियों को सुधारना चाहती हूं। किसी पर बोझ नहीं!  सहारा‌ बनना चाहती हूं। बहुत हो गया समझौता अब आने वाले कल को संवारना चाहती हूं । बिना‌‌ डरे  खुलकर हंसना चाहती हूं,  अब बहुत हो गया गैरों के लिए अब खुद के लिए जीना चाहती हूं।।

नारी की अस्मिता

Image
कई बार ऐसा लगता है, लड़की होना ही गुनाह है। बचपन से शुरू होती है, एक जंग अपनी अस्मिता को बचाने की। सबसे पहले तो सांसों की जंग कि उसे पैदा होने से पहले ही मार तो नहीं दिया जाएगा? पैदा होने के बाद भी जंग जारी है, यह समाज उसे स्वतंत्रता से जीने देगा या नहीं, जंग आगे भी जारी है , तुम लड़की हो यह एहसास जगाने की, क्योंकि लड़कियां कभी अकेले कहीं नहीं जाती। अकेली लड़की कभी सुरक्षित नहीं होती, चाहे वह खुद के घर में अकेली हो या बाहर। हर बार लड़की को यह जताया जाता है, यह एहसास कराया जाता है कि तुम कमजोर हो, तुम्हें एक मर्द की जरूरत है। बिना मर्द के तुम सुरक्षित नहीं, जबकि वास्तविकता तो यह है कि नर की वजह से ही तो नारी की अस्मिता का हनन हो रहा है। आज यह नौबत ही क्यों आई है कि एक लड़की को हर पल डर सताता रहता है, एक खौफ मन में रहता है, न जाने किस भेष में रावण घात लगाए बैठा है। तो बताओ इसमें गलती किसकी ? लड़की की या उस समाज, वहां के लोगों की , उस सोच की, जो एक अकेली लड़की को सुरक्षित वातावरण नहीं दे सकते। कुछ चंद लोगों की घटिया करतूत की वजह से हमने अपनी बेटियों के पैरों में बेड़िया बांध ...