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बाबुल की चिड़िया

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अब बाबुल की चिड़िया  बड़ी हो गई है , अकेले सफर पर  निकल पड़ी है , आज निकली हैं, अपने घोंसले से अकेली  अनजाने लोगों के बीच  नए सफर की शुरुआत हैं, थोड़ा डर है  थोड़ी झिझक है  लेकिन एक नया  आत्मविश्वास है  आप पीछे मुड़ने का  कोई सवाल नहीं  अब आगे कदम बढ़ाते जाना हैं , खुद को आने वाली कठिनाइयों से बचाना है सम्हल सम्हल कर कदम बढ़ाना हैं  सपनों को पूरा  करते जाना हैं  ना झिझकना हैं  ना डरना‌ हैं  बस विश्वास से आगे बढ़ना हैं। हौसला बुलंद रखना है 

संकल्प से सिद्धि

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दोस्तों ! ना जाने क्यों हम अपने निर्णय पर अडिग नहीं रह पाते हैं, ना जाने क्यों हम अपनी की गई गलतियों को बार-बार दोहराते हैं, ऐसा एक बार नहीं कई बार होता है । हर बार गलती करना, फिर पश्चाताप ।  कि अगली बार यह गलती नहीं होगी , लेकिन फिर वही दोबारा;  ऐसा सिर्फ आपके साथ ही नहीं,  हर इंसान के साथ होता है। जो स्वयं में बदलाव नहीं ला पाता । दोस्तों ! जीवन ऐसा ही है । जिंदगी है - चलती रहेगी, हार-जीत, उतार-चढ़ाव, आते रहेंगे । हमें चाहिए; कि डटकर इनका सामना करें , हार ना माने । क्योंकि-  " मन के हारे हार है मन के जीते जीत" पर क्या करें ? यह मन बड़ा बावरा है,  मानता ही नहीं । हम हर रोज एक प्प्ज्ञा प्रतिज्ञा  करते हैं कि आज ऐसा करेंगे, आज से एक नई शुरुआत करेंगे लेकिन शाम होते-होते, वह उत्साह, वह उमंग ठंडी पड़ जाती है तो आखिर हमेशा क्या करें ? अपने निर्णय के ऊपर, अपने लक्ष्यों को पर अडिग रह सकें और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें । आइए आज मैं आपको कुछ ऐसे ही शख्सियतों से मिलवा आती हूं जिनके बारे में हम सभी जानते हैं और आज से नहीं बचपन से जानते हैं डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, सुपर थर्टी के आनंद

उड़ान

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 घर के आँगन की रौनक, माँ की परछाई, पिता का गुरुर, भाई की कलाई की शोभा आदि न जाने कितनी उपमाएं दी है सबने बेटियों को। हमेशा बेटी को फूल सी नाजुक समझा, माना और बताया। पर बेटी से कभी किसी ने नहीं पूछा की तुझे कौन सी उपमा चाहिए ? बस हमेशा से बेटियों पर हक जताते रहे और क्यों न जताए आख़िर बेटी हो  तुम हमारे घर की।  पर मुझे नहीं पसंद बेटी होने की बंदिश। आज़ाद होना चाहती हूँ इस समाज की जंजीरों से। इस कलिष्ट मानसिकता वाले समाज की सोच से दूर जाना चाहती हूँ। दम घुटता हैं मेरा ! मन करता है सभ कुछ छोड़कर कही चली जाऊं। जहाँ सिर्फ शांति हो और कोई समाज की बंदिश न हो, एक ऐसी दुनिया की तलाश में हूँ जो मेरे हिसाब से मुझे जीने दे।  मुझे इस दुनिया की जंजीरो से आज़ाद होना है। आखिर कब तक यूँ ही सहती रहूंगी, घुटती रहूँगी, तड़पती रहूँगी। अब नहीं होता !!    मुझे बचपन से यही सिखाया गया है कि बेटियाँ हमेशा मर्यादा में रहती है, तुम्हे भी रहना होगा अन्यथा तुम्हे ये समाज चरित्रहीन करार देगा। पर अगर यही काम बेटे करें तो उनकी गलतियों पर पर्दा दाल दिया जाता है।  आखिर ये समाज की कैसी रीत है ? आज लड़कियाँ हर क्षेत्र में प्रगति

ज़िन्दगी की कीमत पहचानो यारो !

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आपको क्या लगता है किसी इंसान की ज़िन्दगी की क्या कीमत होती है ? अनमोल !! हमारी ज़िन्दगी अनमोल है , पर हमें इस बात का ज़रा भी अंदाजा नहीं है की हम किस तरह अपनी ज़िन्दगी के साथ खेल रहे है | अब हमारे लिए इंटरनेट सबसे क़ीमती चीज हो गया है | अभी हाल ही में अखबार में खबर आयी की एक 14 साल के बच्चे ने घर में भी पंखे से लटक के ख़ुदकुशी कर ली | कारण सुनेंगे तो आप चौक जाएंगे , दरअसल बात सिर्फ इतनी सी थी की उस बच्चे को पबजी खेलने की लत लग गयी थी उसने अपना लोखड़ौन का ज्यादातर वक़्त पबजी खेलने में बिताया , और जब 1 महीने बाद जब उसके मोबाइल का इंटरनेट पैक ख़तम हो गया तो उसने अपनी माँ से बैलेंस डलवाने की ज़िद की तो फिर माँ ने समझाया की बेटा अभी नहीं डलवा सकते पैसो  की तंगी चल रही है  तुम थोड़ा सब्र रखो | पर  सब्र करना क्या होता है वो उसे बचपन से सिखाया ही नहीं गया | तो उसे आया गुस्सा,  की मेरी बात नहीं मानी जा रही , और बस जैसा उसने टीवी, फिल्मो में देखा होगा उसी तरह अपनी ज़िद मनवाने की सोची और कर ली ख़ुदकुशी !  मतलब हद होती है भई ! आज हम अपनी जान की कीमत ही भूलते जा रहे है | और ये केवल एक मामला नहीं है हर रोज हजारो