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बाबुल की चिड़िया

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अब बाबुल की चिड़िया  बड़ी हो गई है , अकेले सफर पर  निकल पड़ी है , आज निकली हैं, अपने घोंसले से अकेली  अनजाने लोगों के बीच  नए सफर की शुरुआत हैं, थोड़ा डर है  थोड़ी झिझक है  लेकिन एक नया  आत्मविश्वास है  आप पीछे मुड़ने का  कोई सवाल नहीं  अब आगे कदम बढ़ाते जाना हैं , खुद को आने वाली कठिनाइयों से बचाना है सम्हल सम्हल कर कदम बढ़ाना हैं  सपनों को पूरा  करते जाना हैं  ना झिझकना हैं  ना डरना‌ हैं  बस विश्वास से आगे बढ़ना हैं। हौसला बुलंद रखना है 

मेघा मतलब बादल

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 काश ! मैं बादल होती। फिर कही भी कभी भी पहुंच जाती। फिर जब मन करता लंबी सैर पर निकल जाती । कभी खुशी से बरसती , कभी प्रकृति को निहारती , कभी ऊंची उड़ान भरती। बादलों की तरह आसमान में⛅ उड़ना चाहती हूं  बादलों की तरह ऊंचे शिखरों 🏔️को छूना चाहती हूं बादलों की तरह लंबी उड़ान 💫भरना  चाहती हूं बादलों की तरह झूम कर बरसना🌧️  चाहती हूं बादलों की तरह कभी कभी 🌩️गर्जना चाहती हूं बादलों की तरह खुशी में 🌠झूमना चाहती हूं बादलों की तरह दुनिया🌍 की सैर करना चाहती हूं मैं  ☁️मेघा  बादलों  की  तरह बनना  चाहती हूं

काश! मैं लड़का होती

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 बेफिक्री से जी पाती  बिना किसी परवाह के  अपने लिए जी पाती  बेखौफ बिंदास सड़कों पर घूम पाती  काश मैं लड़की नहीं लड़का होती फिर अंधेरे का कोई डर नहीं होता फिर पिता के नियमों का कोई बंधन नहीं होता पहनावे का कोई उसूल नहीं होता फिर मेरे पास भी ताकत होती, शक्ति होती और सामर्थ होता और फिर  मेरे पैरो में कोई बेड़ियां नहीं डाल पाता

अब बस....

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  आप बस ..... जिंदगी की तकलीफों से निजात पाना चाहती हूं  बहुत हो गई भागा दौड़ी अब मैं आराम चाहती हूं  कब तक यूं ही भागती रहूंगी  जिंदगी में ठहराव चाहती हूं । बहुत हो गया आप पश्चाताप  गलतियों को सुधारना चाहती हूं। किसी पर बोझ नहीं!  सहारा‌ बनना चाहती हूं। बहुत हो गया समझौता अब आने वाले कल को संवारना चाहती हूं । बिना‌‌ डरे  खुलकर हंसना चाहती हूं,  अब बहुत हो गया गैरों के लिए अब खुद के लिए जीना चाहती हूं।।

उड़ान

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 घर के आँगन की रौनक, माँ की परछाई, पिता का गुरुर, भाई की कलाई की शोभा आदि न जाने कितनी उपमाएं दी है सबने बेटियों को। हमेशा बेटी को फूल सी नाजुक समझा, माना और बताया। पर बेटी से कभी किसी ने नहीं पूछा की तुझे कौन सी उपमा चाहिए ? बस हमेशा से बेटियों पर हक जताते रहे और क्यों न जताए आख़िर बेटी हो  तुम हमारे घर की।  पर मुझे नहीं पसंद बेटी होने की बंदिश। आज़ाद होना चाहती हूँ इस समाज की जंजीरों से। इस कलिष्ट मानसिकता वाले समाज की सोच से दूर जाना चाहती हूँ। दम घुटता हैं मेरा ! मन करता है सभ कुछ छोड़कर कही चली जाऊं। जहाँ सिर्फ शांति हो और कोई समाज की बंदिश न हो, एक ऐसी दुनिया की तलाश में हूँ जो मेरे हिसाब से मुझे जीने दे।  मुझे इस दुनिया की जंजीरो से आज़ाद होना है। आखिर कब तक यूँ ही सहती रहूंगी, घुटती रहूँगी, तड़पती रहूँगी। अब नहीं होता !!    मुझे बचपन से यही सिखाया गया है कि बेटियाँ हमेशा मर्यादा में रहती है, तुम्हे भी रहना होगा अन्यथा तुम्हे ये समाज चरित्रहीन करार देगा। पर अगर यही काम बेटे करें तो उनकी गलतियों पर पर्दा दाल दिया जाता है।  आखिर ये समाज की कैसी रीत है ? आज लड़कियाँ हर क्षेत्र में प्रगति

बेटियां

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      अब बस बेटी,  बहुत हुआ !!! अब बस बहुत हुआ सहना अब बस बहुत हुआ रोना अब बस बहुत हुआ डरना अब बस बहुत हुआ  चुप्पी साधना अब बस बहुत हुआ नजरे चुराना अब  वक़्त है  हिम्मत दिखने का अब  वक़्त है  स्वाभिमान जगाने का अब  वक़्त है  नजरे उठाने का अब  वक़्त है खुद के लिए जीने का अब  वक़्त है  हर बंदिश को तोड़ने का अब  वक़्त है  अपने जज्बात बताने का अब  वक़्त है हौसलो की उड़ान भरने का अब  वक़्त है  आसमान को छूने का   अब न डरना है रोना न हिचकी याद रख तू बेटी है किसकी !!   दुनिया की हर उस बेटी को समर्पित ये छोटी से कविता जो अपने सपनो की ऊंची उड़ान भरना चाहती है और ज़िन्दगी की ज़िंदादिली से जीने की ख्वाहिश रखती है || 

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेष

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आप सभी को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।।  Happy Women's Day  इस वर्ष 2020 की थीम है -  I am generation equality realizing women right 1910 से मनाए जा रहे इस  अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हर वर्ष एक नई सोच के साथ हम आगे बढ़ते गए आज विश्व में महिलाओं का वर्चस्व है ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जो महिलाओ से जुदा हो फिर भी कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां महिलाएं आज भी अपने अस्तित्व के लिए जंग लड़ रही है कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां महिलाएं अपने फतेह के झंडे गाड़ रही हैं ऐसी ही महिलाओं को समर्पित मेरी स्वरचित एक छोटी सी कविता मैंने जीना सीख लिया है इस पुरुष प्रधान समाज में मैंने जीना सीख लिया है  मैंने जीना सीख लिया है अपनों के खातिर सांचे में ढलना सीख लिया है  मैंने जीना सीख लिया है एक बेटी से बहु, बहु से मां का फर्ज निभाना सीख लिया है  मैंने जीना सीख लिया है अपने सपनों और जिम्मेदारियों के बीच सामंजस्य बनाना सीख लिया है मैंने जीना सीख लिया है  दिल का दर्द छुपा कर मैंने मुस्कुराना सीख लिया है  मैंने जीना सीख लिया है पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ना सीख लिया है  मैंने जीना सीख