बाबुल की चिड़िया

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अब बाबुल की चिड़िया  बड़ी हो गई है , अकेले सफर पर  निकल पड़ी है , आज निकली हैं, अपने घोंसले से अकेली  अनजाने लोगों के बीच  नए सफर की शुरुआत हैं, थोड़ा डर है  थोड़ी झिझक है  लेकिन एक नया  आत्मविश्वास है  आप पीछे मुड़ने का  कोई सवाल नहीं  अब आगे कदम बढ़ाते जाना हैं , खुद को आने वाली कठिनाइयों से बचाना है सम्हल सम्हल कर कदम बढ़ाना हैं  सपनों को पूरा  करते जाना हैं  ना झिझकना हैं  ना डरना‌ हैं  बस विश्वास से आगे बढ़ना हैं। हौसला बुलंद रखना है 

देश का दर्द

मेरे स्वदेश भारत को समर्पित स्वरचित कविता 

इस देश में हजारों वर्षो की गुलामी देखी है 
इस देश में भूख से बिलखते बच्चों की लाचारी देखी है

इस देश ने जवानों को रणभूमि में शहीद होते देखा है
किस देश ने बूढ़े बाप के कंधे पर जवान बेटे का जनाजा उठते देखा है

इस देश ने अपनी आन की रक्षा हेतु वीरांगनाओं को जोहर करते देखा है
इस देश ने एक मां एक बहन बेटी के साथ अत्याचार होते देखा है

इस देश ने चंद पैसों के लालच में मानव को दानव बनते देखा है
इस देश ने एक सुहागन का सुहाग उजड़ते देखा है

इस देश ने बहुत कुछ देखा है पर अब यह देश बहुत कुछ कहना चाहता है

"यह देश कुर्बानी नहीं मांगता
यह देश वीरानी नहीं मांगता
सवा करोड़ की जनसंख्या वाला यह देश
शहद भाईचारे और प्रेम का वरदान मांगता है।

यह देश वीरों का बलिदान नहीं चाहता
यह देश दुश्मनों का रक्त बात नहीं चाहता
यह तो अपने बेटे बेटियों को 
विश्व में सफलता का परचम लहराते देखना चाहता है।

यह देश है जात पात के नाम पर जंग नहीं चाहता
यह देश धर्म के नाम पर लूटपाट नहीं चाहता
विभिन्न संस्कृतियों ,सभ्यताओ वाला यह देश
सर्वधर्म समभाव, अमर, चैन व शांति चाहता है।। "

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