Posts

Showing posts with the label #women'day

बाबुल की चिड़िया

Image
अब बाबुल की चिड़िया  बड़ी हो गई है , अकेले सफर पर  निकल पड़ी है , आज निकली हैं, अपने घोंसले से अकेली  अनजाने लोगों के बीच  नए सफर की शुरुआत हैं, थोड़ा डर है  थोड़ी झिझक है  लेकिन एक नया  आत्मविश्वास है  आप पीछे मुड़ने का  कोई सवाल नहीं  अब आगे कदम बढ़ाते जाना हैं , खुद को आने वाली कठिनाइयों से बचाना है सम्हल सम्हल कर कदम बढ़ाना हैं  सपनों को पूरा  करते जाना हैं  ना झिझकना हैं  ना डरना‌ हैं  बस विश्वास से आगे बढ़ना हैं। हौसला बुलंद रखना है 

उड़ान

Image
 घर के आँगन की रौनक, माँ की परछाई, पिता का गुरुर, भाई की कलाई की शोभा आदि न जाने कितनी उपमाएं दी है सबने बेटियों को। हमेशा बेटी को फूल सी नाजुक समझा, माना और बताया। पर बेटी से कभी किसी ने नहीं पूछा की तुझे कौन सी उपमा चाहिए ? बस हमेशा से बेटियों पर हक जताते रहे और क्यों न जताए आख़िर बेटी हो  तुम हमारे घर की।  पर मुझे नहीं पसंद बेटी होने की बंदिश। आज़ाद होना चाहती हूँ इस समाज की जंजीरों से। इस कलिष्ट मानसिकता वाले समाज की सोच से दूर जाना चाहती हूँ। दम घुटता हैं मेरा ! मन करता है सभ कुछ छोड़कर कही चली जाऊं। जहाँ सिर्फ शांति हो और कोई समाज की बंदिश न हो, एक ऐसी दुनिया की तलाश में हूँ जो मेरे हिसाब से मुझे जीने दे।  मुझे इस दुनिया की जंजीरो से आज़ाद होना है। आखिर कब तक यूँ ही सहती रहूंगी, घुटती रहूँगी, तड़पती रहूँगी। अब नहीं होता !!    मुझे बचपन से यही सिखाया गया है कि बेटियाँ हमेशा मर्यादा में रहती है, तुम्हे भी रहना होगा अन्यथा तुम्हे ये समाज चरित्रहीन करार देगा। पर अगर यही काम बेटे करें तो उनकी गलतियों पर पर्दा दाल दिया जाता है।  आखिर ये समाज की कै...

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेष

Image
आप सभी को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।।  Happy Women's Day  इस वर्ष 2020 की थीम है -  I am generation equality realizing women right 1910 से मनाए जा रहे इस  अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हर वर्ष एक नई सोच के साथ हम आगे बढ़ते गए आज विश्व में महिलाओं का वर्चस्व है ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जो महिलाओ से जुदा हो फिर भी कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां महिलाएं आज भी अपने अस्तित्व के लिए जंग लड़ रही है कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां महिलाएं अपने फतेह के झंडे गाड़ रही हैं ऐसी ही महिलाओं को समर्पित मेरी स्वरचित एक छोटी सी कविता मैंने जीना सीख लिया है इस पुरुष प्रधान समाज में मैंने जीना सीख लिया है  मैंने जीना सीख लिया है अपनों के खातिर सांचे में ढलना सीख लिया है  मैंने जीना सीख लिया है एक बेटी से बहु, बहु से मां का फर्ज निभाना सीख लिया है  मैंने जीना सीख लिया है अपने सपनों और जिम्मेदारियों के बीच सामंजस्य बनाना सीख लिया है मैंने जीना सीख लिया है  दिल का दर्द छुपा कर मैंने मुस्कुराना सीख लिया है  मैंने जीना सीख लिया है पुरुषों के कंधे से कंधा मिला...