कभी-कभी सोचती हूं कि मैं तेरी दोस्ती के काबिल नहीं थी एक सच्चा दोस्त कौन होता है ? जो आपकी खुशी में खुश हो आपके दुख में साथ दें ।
मैं तो यह दोनों काम नहीं कर पाई , यार ! मैं शायद मतलबी किस्म की थी या हूं।
हां ! यह सच है , जब-जब तुझे जिंदगी में तरक्की मिली मुझे बुरा लगा । पता नहीं पर क्यों , पर एक जलन हुईं कि ये खुशी आखिर मुझे क्यों नहीं मिली ।
हां आज मैं कुबूल करती हूं कि जब-जब तेरी तारीफ हुई मैं मन ही मन कुड़कुड़ायी हूं । आज मैं अपने मन में भरा सारा रोष उतार रही हूं , इस कागज के पन्ने पर।
आज मैं मान रही हूं कि
मैं तेरी दोस्ती के लायक नहीं थी
तू कितनी अच्छी दोस्त थी ना !
मेरी हर खुशी में खुश हो जाया करती थी !
मेरी हर जीत का जश्न मनाया करती थी !
तू मेरे हर गम में आंसू बहाया करती थी !
मेरी हर गलती पर डांट लगाया करती थी !
मुझसे झगड़ थी और नाराजगी जताया करती थी ! कभी मां, कभी बहन की तरह हक जताया करती थी !
यार !! पर मेरा, तेरे अलावा कोई और है ही कहां है ? जिससे मैं अपने मन की बात कह सकूं , जिससे अपने दिल का हाल बयां कर सकूं ।
कोशिश तो की थी अकेले जीने की , पर अब ना हो पाएगा ..
तेरा साथ इतना गहरा था कि कोई और तेरी जगह ना ले पाएगा ..
तो है ही इतनी अच्छी
पर क्या मैं तेरी दोस्ती के लायक कभी बन पाऊंगी ?हिम्मत नहीं हो रही थी यार !! तुझसे नजरें मिलाने की ।क्या करूं मेरी सारी हिम्मत तो तू अपने साथ ले गई।
कभी सोचा ना था तू मुझसे जिंदगी में यूं आगे निकल जाएगी और अपनी दोस्ती के बीच में दूरियां आ जाएगी।
कभी सोचा ना था मुझे तुझसे इतनी जलन होगी ।
कभी सोचा ना था तेरी तरक्की मुझे रास ना आएगी ।
कभी सोचा ना था मेरी जगह किसी और को तेरे साथ देख कर मेरी जान जली जाएगी।
कभी सोचा ना था ......
शायद मैंने तुझको करीब से जाना ना था ....
शायद मैंने कभी तुझको हमेशा अपने से कम आंका था ..शायद मुझे आदत थी खुद को अक्लमंद समझने की और
शायद इसीलिए मैं अपनी दोस्त की खुशी में खुश नहीं हो पा रही है ।
शायद इसलिए मैं उसकी जीत का जश्न नहीं मना पा रही ।
शायद इसलिए उसके चेहरे की मुस्कान मुझे रास नहीं आ रही ।
शायद इसलिए मैं उससे मिलने के लिए मैं समय नहीं निकाल पा रही ।।
हो सके तो मुझे माफ करना ! मैं शायद तेरी दोस्ती की काबिल नहीं थी ।
पर तेरी मुझसे भी अच्छी एक दोस्त है
इस बात से
मैं खुश हूं .......
मैं खुश हूं कोई तो है जो तेरे दुख में रोती है
मैं खुश हूं कोई तो है जो तेरी खुशी में खुश होती है
मैं खुश हूं कोई तो है जो तेरे चेहरे की मुस्कान बनती है पागलपंती करती है
मैं खुश हूं कोई तो है जो तेरे लिए अपना वक्त जाया करती है ।।
पर अब शायद मुझे समझ आ रहा है कि मैं कितनी गलत थी।
हर इंसान की अपनी काबिलियत होती है
हर इंसान की अपनी ख्वाहिश होती है
किसी को तरक्की जल्दी मिलती है
तो किसी को देर से ही सही पर मिलती जरूर है ।।
आज मेरा वक्त नहीं
तेरा वक्त है ..
तू ऊंची उड़ान भर अपने सपनों के आसमान में
मैं भी आती हूं थोड़ी देर से..
मेरी तैयारी अभी बाकी है..
तेरी मंजिल कुछ और है
मेरी मंजिल कुछ और है,
खुदा करे दोनों खूब कामयाब हो
अपनी अपनी जिंदगी में,
बस एक-दूसरे की तरक्की देखकर
दोस्ती में गांठ न पड़ने पाएं,
बस यही दुआ है खुदा से
मेरी दोस्ती को ताउम्र सलामत रखना ,
आखिर में बस यही कहूंगी कि
हो सके तो मुझे माफ करना,
मैं दोस्ती के काबिल नहीं थी।।
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