दोस्तों संघर्ष का दूसरा नाम ही जिंदगी है या यूं कहे कि जिंदगी का दूसरा नाम ही तो संघर्ष है। ऐसा कौन सा व्यक्ति है , जिसने अपनी जिंदगी में कभी संघर्ष ना किया हो !! जिंदगी बनी ही है संघर्ष के लिए। जिसने इस संघर्ष को पार कर लिया वह जिंदगी में सफलता को पा गया और जो इस संघर्ष से हताश हो गया, निराश हो गया , वह दुनिया से यूं ही चला गया।
दोस्तों !! हर इंसान की जिंदगी एक फिल्म की तरह होती है । हम फिल्में देखते हैं - कैसे हीरो अपने सामने आने वाली हर कठिनाई को पार कर अंत में विजय को पाता है। वह हर परिस्थिति में डटा रहता है ,जुटा रहता है, अड़ा रहता है ।
वह हार नहीं मानता , क्योंकि फिल्म निर्देशक के अनुसार अंत में विजय उसी की सुनिश्चित है , चाहे उसका दुश्मन कितना ही शक्तिशाली हो।
अंत में हमेशा अभिनेता, नायक ही जीता है। यह तो रही फिल्मों की बात ।
लेकिन असल जिंदगी में कई बार खलनायक(विषय परिस्थिति) , नायक पर भारी पड़ जाता है । नायक अपनेआप पर विश्वास खो बैठता है।
ऐसा क्यों होता है? यह सब निर्भर करता है ,हमारी सोच पर ,हमारे निर्णय पर , हमारी सहनशीलता और संवेदना पर । हम जिंदगी में कितना संघर्ष कर सकते हैं यह निर्भर करता है हमारे आत्मविश्वास पर हमारी जीवन जीने की इच्छा पर हम जीवन में क्या हासिल करना चाहते हैं अपने लक्ष्य को कैसे प्राप्त करना चाहते हैं जब तक यह बात स्पष्ट ना हो तब तक हमें संघर्षों से लड़ने की शक्ति आत्मबल प्राप्त नहीं होता कई बार कुछ ऐसी तकलीफ है हमारे सामने आ जाती हैं कि हम जिंदगी से हताश हो जाते हमारा खुद पर यकीन उठ जाता है तब जरूरत पड़ती है स्वयं को संभालने की यह कोई हो जो हमें संभाले हमें यकीन दिलाएं हमें खुद का आत्मविश्वास लौट आए कि जिंदगी अभी खत्म नहीं हुई है जिंदगी में तुम्हें बहुत कुछ करना बाकी है यू हताश या निराश होने से कुछ नहीं होगा जिंदगी तो चलती रहेगी तुम्हारे होने या ना होने से इस दुनिया को फर्क नहीं पड़ता लेकिन तुम्हारे अपनों को पड़ता है इसलिए खुद को हमेशा यह यकीन दिलाते रहो कि तुम्हें उस भगवान ने किसी खास मकसद से बनाया है तुम्हारे होने का तुम्हारे वजूद का कोई कारण है डटे रहो जुटे रहो और उस कारण को तलाश हो जो तुम्हें जीवन के संघर्षों को पार करने में मदद करेगा।।
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