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बाबुल की चिड़िया

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अब बाबुल की चिड़िया  बड़ी हो गई है , अकेले सफर पर  निकल पड़ी है , आज निकली हैं, अपने घोंसले से अकेली  अनजाने लोगों के बीच  नए सफर की शुरुआत हैं, थोड़ा डर है  थोड़ी झिझक है  लेकिन एक नया  आत्मविश्वास है  आप पीछे मुड़ने का  कोई सवाल नहीं  अब आगे कदम बढ़ाते जाना हैं , खुद को आने वाली कठिनाइयों से बचाना है सम्हल सम्हल कर कदम बढ़ाना हैं  सपनों को पूरा  करते जाना हैं  ना झिझकना हैं  ना डरना‌ हैं  बस विश्वास से आगे बढ़ना हैं। हौसला बुलंद रखना है 

मेरा परिचय

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नमस्कार साथियों !  मै हूँ मेघा मसानिया, मैं कोई लेखक नहीं किंतु लिखने का शौक रखती हूं | साल 2016 में ,  कागज़ और कलम के साथ शुरू हुआ ये सफर अब तक जारी हैं |  जब भी कलम उठाती हूँ तो कुछ ऐसा लिखने की कोशिश रहती हैं कि  जो हृदय की गहराइयों को छू पाएं , जो  दिमाग को सोचने पर मजबूर कर दें, जो कोमल मन के तारों को झंकृत कर दे  | देखा जाएँ तो एक लेखक का कर्तव्य होता हैं मन में उमड़ने वाले भावों के सैलाब को स्याही बनाकर उन्हें कलम के माध्यम से कागज पर उतार दें  |    और ये कोशिश अब भी जारी हैं | मेरा इस ब्लॉग को लिखने का उद्देश्य आपने विचारो को आप सब तक पहुँचाना है , मेरी पूरी कोशिश रहेगी की मैं अपने लेखन से किसी के चेहरे पर मुस्कान ला सकू |  ज़िन्दगी को देखने का मेरा नजरिया मैं अपने ब्लॉग के माध्यम से आपके सामने रख रही हूँ |   कलम की स्याही सूखने ना पाएं ऐसी कोशिश रहेगी,  बस आप सब अपना प्यार और प्रोत्साहन देते रहिएगा |  

उड़ान

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 घर के आँगन की रौनक, माँ की परछाई, पिता का गुरुर, भाई की कलाई की शोभा आदि न जाने कितनी उपमाएं दी है सबने बेटियों को। हमेशा बेटी को फूल सी नाजुक समझा, माना और बताया। पर बेटी से कभी किसी ने नहीं पूछा की तुझे कौन सी उपमा चाहिए ? बस हमेशा से बेटियों पर हक जताते रहे और क्यों न जताए आख़िर बेटी हो  तुम हमारे घर की।  पर मुझे नहीं पसंद बेटी होने की बंदिश। आज़ाद होना चाहती हूँ इस समाज की जंजीरों से। इस कलिष्ट मानसिकता वाले समाज की सोच से दूर जाना चाहती हूँ। दम घुटता हैं मेरा ! मन करता है सभ कुछ छोड़कर कही चली जाऊं। जहाँ सिर्फ शांति हो और कोई समाज की बंदिश न हो, एक ऐसी दुनिया की तलाश में हूँ जो मेरे हिसाब से मुझे जीने दे।  मुझे इस दुनिया की जंजीरो से आज़ाद होना है। आखिर कब तक यूँ ही सहती रहूंगी, घुटती रहूँगी, तड़पती रहूँगी। अब नहीं होता !!    मुझे बचपन से यही सिखाया गया है कि बेटियाँ हमेशा मर्यादा में रहती है, तुम्हे भी रहना होगा अन्यथा तुम्हे ये समाज चरित्रहीन करार देगा। पर अगर यही काम बेटे करें तो उनकी गलतियों पर पर्दा दाल दिया जाता है।  आखिर ये समाज की कै...

द‌ की ऑफ सक्सेस

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आखिर सफलता की चाबी क्या है  ? आप एक सफल इंसान किसे कहेंगे जिसके पास बहुत सारा पैसा हो जिसके पास बड़ी गाड़ी, बंगला हो। या जिसके  पास अच्छी फैमिली, अच्छी सेहत हो ? नहीं सफलता हर उस चीज़ में है जो आपको ख़ुशी देती है यानी अगर आप एक छोटी सी नौकरी करके भी खुश हो तो आप सफल हो , आप दुनिया के सबसे खुशकिस्मत इंसान हो | वैसे अगर मै  आपसे एक सवाल करू की आप क्या बिना मतलब के कोई काम करते है तो आप क्या कहेंगे ? बिलकुल नहीं  |  मै  बिना मतलब के क्यों काम करू,  सही बात है न |  तो बस भगवान ने भी आपको ऐसे ही थोड़ी बिना मतलब के बनाया है आपके इस दुनिया में आने का एक उद्देश्य है , एक मकसद है  आपको बस उस उद्देश्य को पहचानना है तब आपको अपनी ज़िन्दगी खुशनुमा लगने लगेगी | और जिंदगी को जीने की वजह भी मिल जाएगी |  बस हमेशा ये  रखना                               "        असफलता  एक  चुनौती है स्वीकार करो         ...