बाबुल की चिड़िया

दोस्तों 15 अगस्त आने को है माहौल पहले से ही बहुत खुशनुमा हो चुका है बारिश हो रही है मिट्टी की भीनी भीनी खुशबू और हवा में बहती आजादी की महक।
दोस्तों आजादी के 73 साल हो चुके, हर साल हम आजादी का जश्न बड़े धूमधाम से मनाते हैं ।
दोस्तों आखिरी आजादी है क्या आखिर एक युवा के लिए आजादी के असल मायने क्या है ? हमारे देश के वीर जवानों ने जो बलिदान दिए जो त्याग किए हमने तो वो सब नहीं किया, फिर हम कैसे समझे उस आजादी के मायने को ।
दोस्तों एक लाइन तो आपने हर जगह सुनी होगी कि " यह आजादी कोई हमें चांदी की थाली में परसी हुई नहीं मिली " इसके लिए हजारों देशभक्तों ने ,वीर जवानों ने अपनी जान को न्योछावर किया था फिर हम कैसे महसूस करें उस आजादी को। हम तो बस हर साल 26 जनवरी और 15 अगस्त जैसे राष्ट्रीय त्योहारों पर झंडा फहरा कर राष्ट्रगीत ,राष्ट्रगान गाकर , सांस्कृतिक कार्यक्रम करके घर लौट आते हैं।
तो आजादी का मतलब हम उन लोगों से पूछे जो जेल में बंद है, या एक पिंजरे में कैद पंछी से जाने किस तरह उड़ने के लिए फड़फड़ाता है,आ जाओ उसे मौका मिलता है पिंजरे से बाहर निकलने का वह कितना उल्लास रोमांचित हो कर आसमान में पंख फैलाकर अपनी आजादी का जश्न मनाता है।
दोस्तों ! पहले गुलामी अंग्रेजों से थी , आज गुलामी सोशल मीडिया से है।
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