बाबुल की चिड़िया

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अब बाबुल की चिड़िया  बड़ी हो गई है , अकेले सफर पर  निकल पड़ी है , आज निकली हैं, अपने घोंसले से अकेली  अनजाने लोगों के बीच  नए सफर की शुरुआत हैं, थोड़ा डर है  थोड़ी झिझक है  लेकिन एक नया  आत्मविश्वास है  आप पीछे मुड़ने का  कोई सवाल नहीं  अब आगे कदम बढ़ाते जाना हैं , खुद को आने वाली कठिनाइयों से बचाना है सम्हल सम्हल कर कदम बढ़ाना हैं  सपनों को पूरा  करते जाना हैं  ना झिझकना हैं  ना डरना‌ हैं  बस विश्वास से आगे बढ़ना हैं। हौसला बुलंद रखना है 

काश! मैं लड़का होती

 बेफिक्री से जी पाती 

बिना किसी परवाह के 

अपने लिए जी पाती 

बेखौफ बिंदास सड़कों पर घूम पाती 

काश मैं लड़की नहीं लड़का होती

फिर अंधेरे का कोई डर नहीं होता

फिर पिता के नियमों का कोई बंधन नहीं होता

पहनावे का कोई उसूल नहीं होता

फिर

मेरे पास भी ताकत होती,

शक्ति होती और सामर्थ होता

और

फिर 

मेरे पैरो में कोई बेड़ियां नहीं डाल पाता




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