बाबुल की चिड़िया

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अब बाबुल की चिड़िया  बड़ी हो गई है , अकेले सफर पर  निकल पड़ी है , आज निकली हैं, अपने घोंसले से अकेली  अनजाने लोगों के बीच  नए सफर की शुरुआत हैं, थोड़ा डर है  थोड़ी झिझक है  लेकिन एक नया  आत्मविश्वास है  आप पीछे मुड़ने का  कोई सवाल नहीं  अब आगे कदम बढ़ाते जाना हैं , खुद को आने वाली कठिनाइयों से बचाना है सम्हल सम्हल कर कदम बढ़ाना हैं  सपनों को पूरा  करते जाना हैं  ना झिझकना हैं  ना डरना‌ हैं  बस विश्वास से आगे बढ़ना हैं। हौसला बुलंद रखना है 

अब बस....

 






आप बस .....

जिंदगी की तकलीफों से निजात पाना चाहती हूं 

बहुत हो गई भागा दौड़ी

अब मैं आराम चाहती हूं 

कब तक यूं ही भागती रहूंगी

 जिंदगी में ठहराव चाहती हूं ।

बहुत हो गया आप पश्चाताप

 गलतियों को सुधारना चाहती हूं।

किसी पर बोझ नहीं! 

सहारा‌ बनना चाहती हूं।

बहुत हो गया समझौता

अब आने वाले कल को संवारना चाहती हूं ।

बिना‌‌ डरे  खुलकर हंसना चाहती हूं, 

अब बहुत हो गया गैरों के लिए

अब खुद के लिए जीना चाहती हूं।।








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