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Showing posts from March, 2020

बाबुल की चिड़िया

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अब बाबुल की चिड़िया  बड़ी हो गई है , अकेले सफर पर  निकल पड़ी है , आज निकली हैं, अपने घोंसले से अकेली  अनजाने लोगों के बीच  नए सफर की शुरुआत हैं, थोड़ा डर है  थोड़ी झिझक है  लेकिन एक नया  आत्मविश्वास है  आप पीछे मुड़ने का  कोई सवाल नहीं  अब आगे कदम बढ़ाते जाना हैं , खुद को आने वाली कठिनाइयों से बचाना है सम्हल सम्हल कर कदम बढ़ाना हैं  सपनों को पूरा  करते जाना हैं  ना झिझकना हैं  ना डरना‌ हैं  बस विश्वास से आगे बढ़ना हैं। हौसला बुलंद रखना है 

बेटियां

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      अब बस बेटी,  बहुत हुआ !!! अब बस बहुत हुआ सहना अब बस बहुत हुआ रोना अब बस बहुत हुआ डरना अब बस बहुत हुआ  चुप्पी साधना अब बस बहुत हुआ नजरे चुराना अब  वक़्त है  हिम्मत दिखने का अब  वक़्त है  स्वाभिमान जगाने का अब  वक़्त है  नजरे उठाने का अब  वक़्त है खुद के लिए जीने का अब  वक़्त है  हर बंदिश को तोड़ने का अब  वक़्त है  अपने जज्बात बताने का अब  वक़्त है हौसलो की उड़ान भरने का अब  वक़्त है  आसमान को छूने का   अब न डरना है रोना न हिचकी याद रख तू बेटी है किसकी !!   दुनिया की हर उस बेटी को समर्पित ये छोटी से कविता जो अपने सपनो की ऊंची उड़ान भरना चाहती है और ज़िन्दगी की ज़िंदादिली से जीने की ख्वाहिश रखती है || 

मैं तेरी दोस्ती के काबिल नहीं

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कभी-कभी सोचती हूं कि मैं तेरी दोस्ती के काबिल नहीं थी एक सच्चा दोस्त कौन होता है ?  जो आपकी खुशी में खुश हो आपके दुख में साथ दें । मैं तो यह दोनों काम नहीं कर पाई , यार  ! मैं शायद मतलबी किस्म की थी या हूं।   हां ! यह सच है , जब-जब तुझे जिंदगी में तरक्की मिली मुझे बुरा लगा । पता नहीं पर क्यों , पर एक जलन हुईं कि ये खुशी आखिर मुझे क्यों नहीं मिली । हां आज मैं कुबूल करती हूं कि जब-जब तेरी तारीफ हुई मैं मन ही मन कुड़कुड़ायी हूं । आज मैं अपने मन में भरा सारा रोष उतार रही हूं , इस कागज के पन्ने पर। आज मैं मान रही हूं कि  मैं तेरी दोस्ती के लायक नहीं थी  तू कितनी अच्छी दोस्त थी ना  !  मेरी हर खुशी में खुश हो जाया करती थी !   मेरी हर जीत का जश्न मनाया करती थी !  तू मेरे हर गम में आंसू बहाया करती थी !   मेरी हर गलती पर डांट लगाया करती थी !   मुझसे झगड़ थी और नाराजगी जताया करती थी !  कभी मां, कभी बहन की तरह हक जताया करती थी !   यार !!  पर मेरा,  तेरे अलावा कोई और ह...

देश का दर्द

मेरे स्वदेश भारत को समर्पित स्वरचित कविता  इस देश में हजारों वर्षो की गुलामी देखी है  इस देश में भूख से बिलखते बच्चों की लाचारी देखी है इस देश ने जवानों को रणभूमि में शहीद होते देखा है किस देश ने बूढ़े बाप के कंधे पर जवान बेटे का जनाजा उठते देखा है इस देश ने अपनी आन की रक्षा हेतु वीरांगनाओं को जोहर करते देखा है इस देश ने एक मां एक बहन बेटी के साथ अत्याचार होते देखा है इस देश ने चंद पैसों के लालच में मानव को दानव बनते देखा है इस देश ने एक सुहागन का सुहाग उजड़ते देखा है इस देश ने बहुत कुछ देखा है पर अब यह देश बहुत कुछ कहना चाहता है " यह देश कुर्बानी नहीं मांगता यह देश वीरानी नहीं मांगता सवा करोड़ की जनसंख्या वाला यह देश शहद भाईचारे और प्रेम का वरदान मांगता है। यह देश वीरों का बलिदान नहीं चाहता यह देश दुश्मनों का रक्त बात नहीं चाहता यह तो अपने बेटे बेटियों को  विश्व में सफलता का परचम लहराते देखना चाहता है। यह देश है जात पात के नाम पर जंग नहीं चाहता यह देश धर्म के नाम पर लूटपाट नहीं चाहता विभिन्न संस्कृतियों ,सभ्यताओ वाला यह देश सर्वधर्म समभाव, अमर, चैन व शांति चाहता है।। "

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेष

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आप सभी को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।।  Happy Women's Day  इस वर्ष 2020 की थीम है -  I am generation equality realizing women right 1910 से मनाए जा रहे इस  अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हर वर्ष एक नई सोच के साथ हम आगे बढ़ते गए आज विश्व में महिलाओं का वर्चस्व है ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जो महिलाओ से जुदा हो फिर भी कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां महिलाएं आज भी अपने अस्तित्व के लिए जंग लड़ रही है कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां महिलाएं अपने फतेह के झंडे गाड़ रही हैं ऐसी ही महिलाओं को समर्पित मेरी स्वरचित एक छोटी सी कविता मैंने जीना सीख लिया है इस पुरुष प्रधान समाज में मैंने जीना सीख लिया है  मैंने जीना सीख लिया है अपनों के खातिर सांचे में ढलना सीख लिया है  मैंने जीना सीख लिया है एक बेटी से बहु, बहु से मां का फर्ज निभाना सीख लिया है  मैंने जीना सीख लिया है अपने सपनों और जिम्मेदारियों के बीच सामंजस्य बनाना सीख लिया है मैंने जीना सीख लिया है  दिल का दर्द छुपा कर मैंने मुस्कुराना सीख लिया है  मैंने जीना सीख लिया है पुरुषों के कंधे से कंधा मिला...