दोस्तों ! ना जाने क्यों हम अपने निर्णय पर अडिग नहीं रह पाते हैं, ना जाने क्यों हम अपनी की गई गलतियों को बार-बार दोहराते हैं, ऐसा एक बार नहीं कई बार होता है । हर बार गलती करना, फिर पश्चाताप ।
कि अगली बार यह गलती नहीं होगी , लेकिन फिर वही दोबारा; ऐसा सिर्फ आपके साथ ही नहीं, हर इंसान के साथ होता है। जो स्वयं में बदलाव नहीं ला पाता ।
दोस्तों ! जीवन ऐसा ही है । जिंदगी है - चलती रहेगी, हार-जीत, उतार-चढ़ाव, आते रहेंगे । हमें चाहिए; कि डटकर इनका सामना करें , हार ना माने ।
क्योंकि-
" मन के हारे हार है मन के जीते जीत"
पर क्या करें ? यह मन बड़ा बावरा है, मानता ही नहीं । हम हर रोज एक प्प्ज्ञा प्रतिज्ञा करते हैं कि आज ऐसा करेंगे, आज से एक नई शुरुआत करेंगे लेकिन शाम होते-होते, वह उत्साह, वह उमंग ठंडी पड़ जाती है तो आखिर हमेशा क्या करें ? अपने निर्णय के ऊपर, अपने लक्ष्यों को पर अडिग रह सकें और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें ।
आइए आज मैं आपको कुछ ऐसे ही शख्सियतों से मिलवा आती हूं जिनके बारे में हम सभी जानते हैं और आज से नहीं बचपन से जानते हैं डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, सुपर थर्टी के आनंद कुमार, अल्बर्ट आइंस्टीन, न्यूटन, मलाला यूसुफजई और भी नाम है , जिनके बारे में बताते-बताते शायद शब्दों की सीमा समाप्त हो जाए ।किंतु नाम पूरे नहीं आ पाएंगे।
दोस्तों ! ये ऐसे महान व्यक्तित्व है , जिन्होंने जीवन में ना जाने कितनी बार परेशानियां देखी है , सैकड़ों बार तकलीफों का सामना किया है। लेकिन जो सबसे बड़ी बात है जो हमें सीखने को मिलती है, वह ये कि कभी हताश नहीं हुए। उन्होंने अपनी सोच , अपनी काबिलियत , अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति को अक्षुण्ण बनाए रखा और इन्हीं प्रेरणादाई शक्तिशाली विचारों के बल पर ,उन्होंने जीत हासिल की और इतिहास में अपना नाम अमर कर लिया।
इन महान व्यक्तित्व के धनी, बुद्धिजीवियों ने कभी यह नहीं सोचा कि मैं कुछ नहीं कर सकता ,यह तकलीफ क्यों है ? उन्होंने जिंदगी को कभी नहीं कोसा। क्योंकि इन्हें एक विश्वास था - यदि ईश्वर ने मेरी रचना की है तो किसी विशेष उद्देश्य के लिए की है और जब तक वह पूरा नहीं हो जाता मैं हार नहीं मान सकता ।
ऐसे दृढ़ संकल्पित स्वयं की इच्छाशक्ति के बल पर ही आगे बढ़े, अपने लक्ष्य को निर्धारित किया, उसके प्रति कृत संकल्पित रहे और उनके संकल्प ने ही उन्हें सिद्धि तक पहुंचाया ।
इसीलिए जिंदगी में हमें भी कभी निराश नहीं होना चाहिए , बस जरूरत है एक संकल्प की ।
"ईश्वर से प्रार्थना की , स्वयं पर विश्वास की और कर्म के प्रति निष्ठावान होने की, सफलता आपके कदमों में होगी।"
अच्छा लिखा है मेघा| इस संकल्प को सिद्धी तक पहुंचाना होगा|
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