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Showing posts from August, 2020

बाबुल की चिड़िया

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अब बाबुल की चिड़िया  बड़ी हो गई है , अकेले सफर पर  निकल पड़ी है , आज निकली हैं, अपने घोंसले से अकेली  अनजाने लोगों के बीच  नए सफर की शुरुआत हैं, थोड़ा डर है  थोड़ी झिझक है  लेकिन एक नया  आत्मविश्वास है  आप पीछे मुड़ने का  कोई सवाल नहीं  अब आगे कदम बढ़ाते जाना हैं , खुद को आने वाली कठिनाइयों से बचाना है सम्हल सम्हल कर कदम बढ़ाना हैं  सपनों को पूरा  करते जाना हैं  ना झिझकना हैं  ना डरना‌ हैं  बस विश्वास से आगे बढ़ना हैं। हौसला बुलंद रखना है 

आपदाएँ कितना कुछ सिखा जाती है...?

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 आपदाएँ !!  चाहे वो बाढ़ हो, तूफान हो, या भूकंप प्रकृति का प्रकोप होती है। हम अपना गुस्सा कैसे निकलते हैं वैसे ही प्रकृति भी अपना ग़ुस्सा इन्ही आपदाओं के जरिए निकलती है।  अगर प्रकृति में जुबान होती तो वो शायद ये बयां करती की तुम मनुष्यों ने मुझ पर कितना अत्याचार किया है। कितनी तकलीफ़े दी है कितना दर्द दिया हैं.................   असहनीय वेदना !!                                                                  पर वाह री प्रकृति!  तूने मनुष्यो को सबक सीखने का क्या नायाब तरीका ढूंढ निकाला है। लेकिन तेरी इन आपदाओं ने ना जाने कितने निरपराधों को मौत के घाट उतारा है। प्रकृति हर साल अपने रौद्र रूप में आकर अपनी अहमियत का अहसास करना चाहती है । लेकिन हम अहंकारी मनुष्य आपदाओं के जाते ही सब भूल जाते है और फिर से प्रकृति का दोहन शुरू कर दे...

उड़ान

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 घर के आँगन की रौनक, माँ की परछाई, पिता का गुरुर, भाई की कलाई की शोभा आदि न जाने कितनी उपमाएं दी है सबने बेटियों को। हमेशा बेटी को फूल सी नाजुक समझा, माना और बताया। पर बेटी से कभी किसी ने नहीं पूछा की तुझे कौन सी उपमा चाहिए ? बस हमेशा से बेटियों पर हक जताते रहे और क्यों न जताए आख़िर बेटी हो  तुम हमारे घर की।  पर मुझे नहीं पसंद बेटी होने की बंदिश। आज़ाद होना चाहती हूँ इस समाज की जंजीरों से। इस कलिष्ट मानसिकता वाले समाज की सोच से दूर जाना चाहती हूँ। दम घुटता हैं मेरा ! मन करता है सभ कुछ छोड़कर कही चली जाऊं। जहाँ सिर्फ शांति हो और कोई समाज की बंदिश न हो, एक ऐसी दुनिया की तलाश में हूँ जो मेरे हिसाब से मुझे जीने दे।  मुझे इस दुनिया की जंजीरो से आज़ाद होना है। आखिर कब तक यूँ ही सहती रहूंगी, घुटती रहूँगी, तड़पती रहूँगी। अब नहीं होता !!    मुझे बचपन से यही सिखाया गया है कि बेटियाँ हमेशा मर्यादा में रहती है, तुम्हे भी रहना होगा अन्यथा तुम्हे ये समाज चरित्रहीन करार देगा। पर अगर यही काम बेटे करें तो उनकी गलतियों पर पर्दा दाल दिया जाता है।  आखिर ये समाज की कै...

मेरा मुल्क मेरा देश

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                                                                                               देश प्रेम  इस देश ने हजारों वर्षों की ग़ुलामी देखी हैं ।  इस देश ने जवानों को रणभूमि में शहीद होते देखा हैं । इस देश ने भूख से बिलखते बच्चों की लाचारी देखी हैं । इस देश ने चंद पैसों के लालच में मानव को दानव बनाते देखा हैं । इस देश ने अपनी आन की रक्षा हेतु वीरांगनाओं को जौहर करते देखा हैं।  इस देश ने बूढ़े बाप के कंधे पर जवान बेटे का जनाजा उठते देखा हैं । इस देश ने एक माँ , एक बहन , एक बेटी के साथ अत्याचार होते देखा हैं।  इस देश ने एक सुहागन का सुहाग उजड़ते देखा है।  इस देश ने बहुत कुछ देखा है , पर अब यह देश बहुत कुछ कहना चाहता है -  ये देश ,कुर्बानी नहीं मा...