बाबुल की चिड़िया

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अब बाबुल की चिड़िया  बड़ी हो गई है , अकेले सफर पर  निकल पड़ी है , आज निकली हैं, अपने घोंसले से अकेली  अनजाने लोगों के बीच  नए सफर की शुरुआत हैं, थोड़ा डर है  थोड़ी झिझक है  लेकिन एक नया  आत्मविश्वास है  आप पीछे मुड़ने का  कोई सवाल नहीं  अब आगे कदम बढ़ाते जाना हैं , खुद को आने वाली कठिनाइयों से बचाना है सम्हल सम्हल कर कदम बढ़ाना हैं  सपनों को पूरा  करते जाना हैं  ना झिझकना हैं  ना डरना‌ हैं  बस विश्वास से आगे बढ़ना हैं। हौसला बुलंद रखना है 

आपदाएँ कितना कुछ सिखा जाती है...?

 आपदाएँ !! 

चाहे वो बाढ़ हो, तूफान हो, या भूकंप प्रकृति का प्रकोप होती है। हम अपना गुस्सा कैसे निकलते हैं वैसे ही प्रकृति भी अपना ग़ुस्सा इन्ही आपदाओं के जरिए निकलती है। 

अगर प्रकृति में जुबान होती तो वो शायद ये बयां करती की तुम मनुष्यों ने मुझ पर कितना अत्याचार किया है। कितनी तकलीफ़े दी है कितना दर्द दिया हैं.................   असहनीय वेदना !! 

                                                                पर वाह री प्रकृति!  तूने मनुष्यो को सबक सीखने का क्या नायाब तरीका ढूंढ निकाला है। लेकिन तेरी इन आपदाओं ने ना जाने कितने निरपराधों को मौत के घाट उतारा है। प्रकृति हर साल अपने रौद्र रूप में आकर अपनी अहमियत का अहसास करना चाहती है। लेकिन हम अहंकारी मनुष्य आपदाओं के जाते ही सब भूल जाते है और फिर से प्रकृति का दोहन शुरू कर देते हैं।  कितने स्वार्थी है हम। अभी हाल में हमने कोरोना वाइरस का प्रकोप झेला उससे उबरे ही थे की बाढ़ ने आकर घेर लिया। अब प्रकृति इतनी भी क्रूर नहीं।  उसने जल्दी ही अपने प्रकोप को शांत कर दिया और  परिस्थितियॉ सामान्य हो रही है। और फिर से एक नया सूरज निकल रहा है, भोर हो रही है, परेशानियाँ समाप्त हो रही है।  

                                                                     पर एक बात तो है प्रकृति हमें जीवन का एक बहुत बड़ा पाठ सीखा जाती है,-  साहस, और कभी हार ना मानना, परेशानियों का डटकर मुकाबला करना, और सबसे महत्वपूर्ण -दूसरों की मदद करना। 

*आपदाओं के समय आम लोगो के जीवन की रक्षा के लिए कई समाज सेवी, वालंन्टियर, सेना के जवान आगे आते हैं।

* उस वक्त वो लोग अपनी भूख, प्यास, नींद  सब भूल जाते हैं। उन्हें बस एक ही लक्ष्य दिखाई देता है , लोगो की मदद करना उनका जीवन बचाना।

 *हर मुश्किल हालत में भी वो डटे रहते हैं, खड़े रहते हैं, लोगो की मदद के लिए, क्यूँकि हर एक जान कीमती है। सलाम है ऐसी निःस्वार्थ सेवा को, परिश्रम को। 

                                                          

 सच ही तो - आपदाएँ कितना कुछ सिखा जाती है। 


                                                                                              









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