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Showing posts from August, 2019

बाबुल की चिड़िया

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अब बाबुल की चिड़िया  बड़ी हो गई है , अकेले सफर पर  निकल पड़ी है , आज निकली हैं, अपने घोंसले से अकेली  अनजाने लोगों के बीच  नए सफर की शुरुआत हैं, थोड़ा डर है  थोड़ी झिझक है  लेकिन एक नया  आत्मविश्वास है  आप पीछे मुड़ने का  कोई सवाल नहीं  अब आगे कदम बढ़ाते जाना हैं , खुद को आने वाली कठिनाइयों से बचाना है सम्हल सम्हल कर कदम बढ़ाना हैं  सपनों को पूरा  करते जाना हैं  ना झिझकना हैं  ना डरना‌ हैं  बस विश्वास से आगे बढ़ना हैं। हौसला बुलंद रखना है 

देशभक्ति क्या है

आखिर देशभक्ति है क्या? 15 अगस्त 2019  को आज़ादी के 73 साल पूरे होने जा रहे हैं।   आजादी ,अंग्रेजों से गुलामी की ।   आजादी उन बेड़ियों से जो हमारे पैर जकड़े हुए थे।   आजादी  खुली हवा मे...

दोस्ती

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दोस्ती एक ऐसा रिश्ता जिसे हम खुद चुनते हैं।  दोस्तों खून के रिश्ते तो भगवान बनाता है , लेकिन दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है जिसकी डोर हमारे हाथ में होती है। कितना हसीन रिश्ता है, दोस्ती । ऊंच-नीच का कोई भेदभाव नहीं।  न अमीरी गरीबी का कोई डर।  दोस्ती केवल निस्वार्थ भाव से की जाती है। यह एक ऐसी भावना है जो हमें एहसास दिलाती है कि हम अपने दोस्त के लिए कितने खास हैं या हमारे दोस्त हमारे लिए कितना खास है। दोस्तों ! दुनिया में वह इंसान सबसे अकेला है , जिसका कोई दोस्त नहीं।  क्योंकि दोस्ती ही जिंदगी है । दोस्ती जिंदगी के हसीन लम्हों की बारात  हैं। दोस्तों ! जब हम किसी को अपना दोस्त मानते हैं , तो हम उससे यह आशा रखते हैं कि वह हमारे सुख-दुख में , हमारी तकलीफ में, हमेशा हमारे साथ खड़ा होगा । भले ही सारी दुनिया हमारे खिलाफ हो , भले ही सारी दुनिया के लोग हमारी काबिलियत को,  या हमारे विचारों को ना समझे लेकिन दोस्त ऐसा इंसान होता है जो हम पर भरोसा रखता है। हम पर नाज़ रखता है। हमारे साथ होता है,  वह हमेशा हमें भावनात्मक रूप से सबल देता है कि दोस्त तुम अकेले नहीं हो...

अपनी क्षमता पहचानो

दोस्तों ! आज का समय प्रतिस्पर्धाओं का है ।आज हर कोई चाहता है कि वह शीघ्र सफलता प्राप्त करें। हर विद्यार्थी बहुत मेहनत करता है ,अपने सपनों को पाने की। लेकिन क्या जो सपना आप देख रहे हो या जिस लक्ष्य के पीछे आप मेहनत कर रहे हो क्या वाकई में वह स्वयं आपका है ? आज हमारे सपने हमारे नहीं रहे ।हम केवल दूसरों को दिखाने के लिए या अपने माता-पिता की खुशी के लिए सपने देखते हैं ,लक्ष्य बनाते हैं , और उन्हें पाने में जुट जाते हैं किंतु हम ये सोचते ही नहीं कि क्या वाकई में, मैं इस लायक हूं या मैं इतनी क्षमता रखती हूं कि इसे पा सकूं। आप खुद सोचिए क्या यह संभव है कि 10 अफसरों की कुर्सियों पर 50,000 लोगों को बैठाया जाए। नहीं ना फिर भी हर वर्ष लाखों लोग इन प्रतियोगी परीक्षाओं में अपनी किस्मत आजमाते हैं , कुछ यह सोचते हैं कि तुक्का  लगा कर आ जाएंगे शायद सही निकल जाए । कुछ तो केवल दोस्तों की देखा देखी भर देते हैं पर उन सब में कुछ विरले  ही होते हैं , जो यह ठान कर जाते हैं उन्हें परीक्षा पास करनी ही है और ऐसे लोग ही सफलता पाते हैं।                   ...