देशभक्ति क्या है
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आखिर देशभक्ति है क्या?
15 अगस्त 2019 को आज़ादी के 73 साल पूरे होने जा रहे हैं।
आजादी ,अंग्रेजों से गुलामी की ।
आजादी उन बेड़ियों से जो हमारे पैर जकड़े हुए थे।
आजादी खुली हवा में सांस लेने की ।
पर आजादी के असल मायने क्या है ?
हम हर साल पूरे जोश से राष्ट्रीय त्योहार मनाते हैं , भाषण देते हैं , श्रद्धांजलि देते हैं । उन वीर जवानों को जो हंसते-हंसते फांसी के तख्ते पर झूल गए , उन क्रांतिकारियों को नमन करते हैं, जिन्होंने देश के लिए मर मिटने का साहस जुटाया ।
सच में जब-जब राष्ट्रीय त्योहार 15 अगस्त , 26 जनवरी आते हैं सभी उत्साह से भर जाते हैं ।
खून में उबाल सा जाता है। सभी जोश, उमंग से भर जाते हैं । देश के लिए जान देना क्या होता है ....
यह हमें उन वीर जवानों से सीखना चाहिए जो आज देश की सीमा पर तैनात देश की रक्षा करते हैं। अपने परिवार से दूर दिन-रात बिना अपनी जान की परवाह किए वह बस दिल में देश के लिए कुछ करने का संकल्प लेकर खड़े रहते हैं ।
दोस्तों !! देशभक्ति को मैंने तब महसूस किया था या यूं कहूं कि करीब से जाना था जब मैं एनएसएस कैंप गई थी। मन में जिज्ञासा थी कि आखिर होता क्या है, कैसे रहते हैं , वगैरा-वगैरा ।
सच में दिन रात सभी कैडेट्स की ड्यूटी लगाई जाती थी तब घर की बहुत याद आती थी तब दिन में यही ख्याल आता था मैं तो सिर्फ 10 दिन के लिए आई हूं यह तो गुजर जाएगा लेकिन उन वीर जवानों का जो सालों तक देश की सेवा के लिए सीमा पर 24 घंटे डटे रहते हैं। कैंप में ना तो खाने की व्यवस्था नहीं , सोने की व्यवस्था भी सुचारू रूप से नहीं थी । बिना पंखे जमीन पर सोना , सुबह 4:00 बजे मैदान में ड्रिल करना, वह भी पांच-पांच किलो के भारी जूतों के साथ। रात को 12 -12 , 1:00 बजे की ड्यूटी, फिर सुबह नहाने की किल्लत। सच में वह दिन मेरी जिंदगी के सबसे भयानक या यूं कहूं कि रोमांचक दिन भी थे ।
जिंदगी में पहली बार बंदूक को अपने हाथ में उठाया था और चलाई भी थी पर निशाना नहीं लगा सब कुछ जिंदगी में पहली बार था। कई दोस्त भी बने नई चीजें सीखने को भी मिली । पर कैम्प के आखिर में एक बात समझ आई यह तो सिर्फ एक डेमो था , उन सैनिकों की दिनचर्या का जो देश की सीमा पर महसूस करते होंगे। हमारे वीर सैनिक ठंड में ,गर्मी में , बरसात में विपरीत से विपरीत हालात में अपनी ड्यूटी पर डटे रहते हैं । वहां भी ऐसे ही हालात होते होंगे- ना ढंग का खाना, ना पानी। एक टेंट में जैसे तैसे रात बिताना कभी-कभी तो 24 घंटे में सोना भी नसीब नहीं हो पाता होगा।
यह सोचकर ही सिहरन हो जाती है कि आखिर इन सैनिकों में इतना साहस ,इतनी त्यागशीलता इतना संघर्ष करने की क्षमता आती कहां से है वह भी तो हम और आप जैसे इंसान है । उन्हें भी तो दुख महसूस होता होगा उन्हें भी तो अपने मां के हाथ के खाने की याद आती होगी , उन्हें भी तो दो पल अपने परिवार के साथ खुशियां मनाने, जश्न मनाने का मन करता होगा ? है ना !
लेकिन सैनिकों के लिए देश सबसे बड़ा है उनके लिए देश की सुरक्षा पहले, परिवार बाद में। यही तो सच्ची देशभक्ति है जिसे हम और आप केवल शब्दों में बयां कर सकते हैं , भाषणों में अभिव्यक्त कर सकते हैं , लेकिन देश के सैनिक हर पल, हर दिन इस देश भक्ति को जीते हैं । सही मायने में यही असली व सच्चे देश प्रेमी है। बारंबार नमन है ऐसे वीर जवानों को। 🙏
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Comments
Nice thoughts.
ReplyDeleteThanks .
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