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Showing posts from July, 2020

बाबुल की चिड़िया

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अब बाबुल की चिड़िया  बड़ी हो गई है , अकेले सफर पर  निकल पड़ी है , आज निकली हैं, अपने घोंसले से अकेली  अनजाने लोगों के बीच  नए सफर की शुरुआत हैं, थोड़ा डर है  थोड़ी झिझक है  लेकिन एक नया  आत्मविश्वास है  आप पीछे मुड़ने का  कोई सवाल नहीं  अब आगे कदम बढ़ाते जाना हैं , खुद को आने वाली कठिनाइयों से बचाना है सम्हल सम्हल कर कदम बढ़ाना हैं  सपनों को पूरा  करते जाना हैं  ना झिझकना हैं  ना डरना‌ हैं  बस विश्वास से आगे बढ़ना हैं। हौसला बुलंद रखना है 

अपनी असीमित क्षमता को जागृत करें

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दोस्तों  ! जन्म के साथ ही हम असीमित क्षमताओं से परिपूर्ण होते है। लेकिन हमारी यह क्षमताएं  क्या समय के साथ क्षीण हो जाती हैं ? नहीं । हम अपनी सोयी हुई क्षमताओं को कभी जागृत ही नहीं कर पाते , हम केवल वही कार्य करते हैं जो हमें सिखाया जाता है ।जैसे हमें निर्देश प्राप्त होते हैं । हम उसी दिशा में आगे बढ़ने लगते हैं क्योंकि समय तेजी से निकल जाता है और आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में, जो कुछ और सोचने के लिए रुक गया, वह पीछे रह जाता है । यह मेरा नहीं हमारे समाज हमारे परंपराओं का मानना है और इसी भागदौड़ के चक्कर में हम अपने क्षमताओं का अवमूल्यन करना भूल जाते हैं और ताउम्र जीवन के मायाजाल में संघर्ष करते रहते हैं।  ऐसा क्यों होता है ? इसलिए कि हमने कभी शांत चित्त से एकाग्र होकर चिंतन मनन नहीं किया। यदि किया होता तो हम जान पाते हैं कि हम कितनी असीम संभावनाओं से परिपूर्ण है । हम में समर्थ है , क्षमता है , सब कुछ पाने की । हासिल करने की।  ।।बशर्ते हम चाहे तो ।। एक सकारात्मक व्यक्ति के तौर पर हमें चाहिए कि लगातार उस चीज‌ का ‌ , लक्ष्य  का,‌ चिंतन करते रहे जो हम पाना चाहते है...

ज़िन्दगी की कीमत पहचानो यारो !

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आपको क्या लगता है किसी इंसान की ज़िन्दगी की क्या कीमत होती है ? अनमोल !! हमारी ज़िन्दगी अनमोल है , पर हमें इस बात का ज़रा भी अंदाजा नहीं है की हम किस तरह अपनी ज़िन्दगी के साथ खेल रहे है | अब हमारे लिए इंटरनेट सबसे क़ीमती चीज हो गया है | अभी हाल ही में अखबार में खबर आयी की एक 14 साल के बच्चे ने घर में भी पंखे से लटक के ख़ुदकुशी कर ली | कारण सुनेंगे तो आप चौक जाएंगे , दरअसल बात सिर्फ इतनी सी थी की उस बच्चे को पबजी खेलने की लत लग गयी थी उसने अपना लोखड़ौन का ज्यादातर वक़्त पबजी खेलने में बिताया , और जब 1 महीने बाद जब उसके मोबाइल का इंटरनेट पैक ख़तम हो गया तो उसने अपनी माँ से बैलेंस डलवाने की ज़िद की तो फिर माँ ने समझाया की बेटा अभी नहीं डलवा सकते पैसो  की तंगी चल रही है  तुम थोड़ा सब्र रखो | पर  सब्र करना क्या होता है वो उसे बचपन से सिखाया ही नहीं गया | तो उसे आया गुस्सा,  की मेरी बात नहीं मानी जा रही , और बस जैसा उसने टीवी, फिल्मो में देखा होगा उसी तरह अपनी ज़िद मनवाने की सोची और कर ली ख़ुदकुशी !  मतलब हद होती है भई ! आज हम अपनी जान की कीमत ही भूलते जा रहे है | और ये ...