दोस्तों !
जन्म के साथ ही हम असीमित क्षमताओं से परिपूर्ण होते है। लेकिन हमारी यह क्षमताएं क्या समय के साथ क्षीण हो जाती हैं ? नहीं ।
हम अपनी सोयी हुई क्षमताओं को कभी जागृत ही नहीं कर पाते , हम केवल वही कार्य करते हैं जो हमें सिखाया जाता है ।जैसे हमें निर्देश प्राप्त होते हैं ।
हम उसी दिशा में आगे बढ़ने लगते हैं क्योंकि समय तेजी से निकल जाता है और आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में, जो कुछ और सोचने के लिए रुक गया, वह पीछे रह जाता है ।
यह मेरा नहीं हमारे समाज हमारे परंपराओं का मानना है और इसी भागदौड़ के चक्कर में हम अपने क्षमताओं का अवमूल्यन करना भूल जाते हैं और ताउम्र जीवन के मायाजाल में संघर्ष करते रहते हैं।
ऐसा क्यों होता है ?
इसलिए कि हमने कभी शांत चित्त से एकाग्र होकर चिंतन मनन नहीं किया। यदि किया होता तो हम जान पाते हैं कि हम कितनी असीम संभावनाओं से परिपूर्ण है ।
हम में समर्थ है , क्षमता है , सब कुछ पाने की ।
हासिल करने की।
।।बशर्ते हम चाहे तो ।।
एक सकारात्मक व्यक्ति के तौर पर हमें चाहिए कि लगातार उस चीज का , लक्ष्य का, चिंतन करते रहे जो हम पाना चाहते हैं । जो हमें हर हाल में चाहिए।
जिसे पाकर हमें खुशी, आनंद, हर्ष, उल्लास हो ।
यह बात पूर्ण रूप से स्पष्ट होना चाहिए कि
- " आप क्या चाहते हैं ?"
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