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Showing posts from May, 2020

बाबुल की चिड़िया

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अब बाबुल की चिड़िया  बड़ी हो गई है , अकेले सफर पर  निकल पड़ी है , आज निकली हैं, अपने घोंसले से अकेली  अनजाने लोगों के बीच  नए सफर की शुरुआत हैं, थोड़ा डर है  थोड़ी झिझक है  लेकिन एक नया  आत्मविश्वास है  आप पीछे मुड़ने का  कोई सवाल नहीं  अब आगे कदम बढ़ाते जाना हैं , खुद को आने वाली कठिनाइयों से बचाना है सम्हल सम्हल कर कदम बढ़ाना हैं  सपनों को पूरा  करते जाना हैं  ना झिझकना हैं  ना डरना‌ हैं  बस विश्वास से आगे बढ़ना हैं। हौसला बुलंद रखना है 

हर व्यक्ति के जीवन का संघर्ष अलग होता है

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दोस्तों संघर्ष का दूसरा नाम ही जिंदगी है या यूं कहे कि जिंदगी का दूसरा नाम ही तो संघर्ष है।  ऐसा कौन सा व्यक्ति है , जिसने अपनी जिंदगी में कभी संघर्ष ना किया हो !! जिंदगी बनी ही है संघर्ष के लिए।  जिसने इस संघर्ष को पार कर लिया वह जिंदगी में सफलता को पा गया और जो इस संघर्ष से हताश हो गया, निराश हो गया , वह दुनिया से यूं ही चला गया।  दोस्तों !! हर इंसान की जिंदगी एक फिल्म की तरह होती है । हम फिल्में देखते हैं - कैसे हीरो अपने सामने आने वाली हर कठिनाई को पार कर अंत में विजय को पाता है।  वह हर परिस्थिति में डटा रहता है ,जुटा रहता है, अड़ा रहता है ।  वह हार नहीं मानता , क्योंकि फिल्म निर्देशक के अनुसार अंत में विजय उसी की सुनिश्चित है , चाहे उसका दुश्मन कितना ही शक्तिशाली हो।   अंत में हमेशा अभिनेता, नायक ही जीता है। यह तो रही फिल्मों की बात ।  लेकिन असल जिंदगी में कई बार खलनायक(विषय परिस्थिति) ,  नायक पर भारी पड़ जाता है ।  नायक अपनेआप पर विश्वास खो बैठता है।  ऐसा क्यों होता है?  यह सब निर्भर करता है ,हमारी सोच पर ,हमारे निर्णय पर , हमारी सहनशीलता और संवेदना पर । हम जिंदगी में कितना संघर्

आजादी क्या है

दोस्तों 15 अगस्त आने को है माहौल पहले से ही बहुत खुशनुमा हो चुका है बारिश हो रही है मिट्टी की भीनी भीनी खुशबू और हवा में बहती आजादी की महक। दोस्तों आजादी के 73 साल हो चुके, हर साल हम आजादी का जश्न बड़े धूमधाम से मनाते हैं । दोस्तों आखिरी आजादी है क्या आखिर एक युवा के लिए आजादी के असल मायने क्या है ? हमारे देश के वीर जवानों ने जो बलिदान दिए जो त्याग किए हमने तो वो सब नहीं किया, फिर हम कैसे समझे उस आजादी के मायने को । दोस्तों एक लाइन तो आपने हर जगह सुनी होगी कि " यह आजादी कोई हमें चांदी की थाली में परसी हुई नहीं मिली " इसके लिए हजारों देशभक्तों ने ,वीर जवानों ने अपनी जान को न्योछावर किया था फिर हम कैसे महसूस करें उस आजादी को। हम तो बस हर साल 26 जनवरी और 15 अगस्त जैसे राष्ट्रीय त्योहारों पर झंडा फहरा कर राष्ट्रगीत ,राष्ट्रगान गाकर , सांस्कृतिक कार्यक्रम करके घर लौट आते हैं। तो आजादी का मतलब हम उन लोगों से पूछे जो जेल में बंद है, या एक पिंजरे में कैद पंछी से जाने किस तरह उड़ने के लिए फड़फड़ाता है,आ जाओ उसे मौका मिलता है पिंजरे से बाहर निकलने का वह कितना उल्लास रोमांचित हो कर